हम सभी सुखमय जीवन व्यतीत करनें के लिए अधिक से अधिक परिश्रम कर पैसा कमाते है | यहाँ तक कि अपने भविष्य को सुरक्षित करनें के लिए आपनी आय का कुछ भाग बचत भी करते है | लेकिन कई बार अचानक कोई ऐसा काम आ जाता है, जिसे पूरा करनें के लिए हमें काफी अधिक पैसे की जरुरत होती है | ऐसे में हम अपने सगे-सम्बन्धियों या मित्रों से मदद मांगते है | कभी-कभी इस सभी से मदद नहीं मिल पाती है, ऐसे में हम बैंक से लोन लेकर अपने जरुरी कार्य को पूरा कर लेते है |
लेकिन कई बार हमारे सामनें कुछ ऐसी परिस्थितियां आ जाती है, कि हम बैंक लोन को चुकाने में असमर्थ हो जाते है | ऐसी स्थिति में यदि आप बैंक लोन समय से नहीं देते हैं, तो बैंक क्या करेगा ? यह प्रश्न लगभग ऐसे सभी लोगे के मन में आता है, जो बैंक से लोन लेते है | बैंक का लोन नहीं चुकाने पर क्या होता है ? What Happens if loan/EMI is not paid ? सजा, नीलामी के नियम के बारें में आपको यहाँ पूरी जानकारी प्रदान की जा रही है |
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लोन की ईएमआई समय से न देने पर क्या होता है (What Happens If The Loan EMI is not Paid on Time)
रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के मुताबिक, यदि कोई भी ऋण लेने वाला व्यक्ति 90 दिनों अर्थात 3 माह के अन्दर लोन की क़िस्त या ईएमआई जमा न करने पर बैंक द्वारा लोन लेने व्यक्ति को एक नोटिस भेजा जाता है, जिसमें लोन अमाउंट को एक साथ जमा करनें की बात का उल्लेख किया जाता है | इसके पश्चात लोन लेने व्यक्ति को बैंक द्वारा भेजी गयी नोटिस का जवाब देना होता है | यदि आप बैंक नोटिस का जवाब नहीं देते है, तो बैंक आपके ऊपर कानूनी (Legal) कार्यवाही कर सकता है |
लोन न चुकानें पर बैंक क्या करता है (What Does The Bank Do if The Loan is not Repaid?)
आमतौर पर जब कोई लोन लेने वाला व्यक्ति बैंक द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब नहीं देता है, तो बैंक कर्ज धारक को ठीक 5 महीनें के बाद दूसरी नोटिस भेजता है | जिसमें स्पष्ट रूप से इस बात का उल्लेख किया जाता है, कि आपके पास जितनी भी संपत्ति है, उसकी कुल वैल्यू इतनी है और आपकी पूरी संपत्ति को नीलाम करनें के लिए यह तारीख निश्चित कर दी गयी है | बैंक द्वारा इस तरह की कार्यवाही प्रॉपर्टी लोन के क्षेत्र में अधिक होती है | ज्यादातर लोग बैंक से लोन लेने के लिए अपनी संपत्ति के डॉक्यूमेंट सिक्योरिटी के रूप में जमा कर लोन लेते है |
दरअसल बैंक के पास ऐसे अधिकार होते है, कि वह आपकी संपत्ति को नीलम कर सकता है | हालाँकि बैंक द्वारा इस कार्यवाही को करने से पहले कर्धारक के ऊपर नोटिस के माध्यम से काफी दबाव बनाया जाता है, कि लोन को वापस कर दे | इसके बावजूद भी कर्जदार यदि लोन नही लौटाता है, तो बैंक द्वारा उसकी संपत्ति की नीलामी की प्रक्रिया को शुरू कर देता है |
लोन न चुकानें पर बैंक क्या कर सकता है (What Can Banks Do If They Do Not Repay The Loan?)
बैंक लोन को लेकर वर्ष 2002 में संसद में एक बिल पास किया था, जिसके अंतर्गत यदि कोई भी व्यक्ति बैंक लोन नही चुकाता है अथवा वह बैंक लोन वापस करने में पूरी तरह से असमर्थ है, तो बैंक कर्ज धारक की संपत्ति को नीलम कर अपनी राशि को वसूल करने का अधिकार रखता है |
हालाँकि इस प्रकार की कार्यवाही करने से पहले बैंक अन्य आप्शन पर भी गौर करता है, कि वह किसी तरह से अपने फंसे हुए पैसे को कर्जदार से ले सके | बैंक द्वारा किसी भी व्यक्ति की संपत्ति को नीलाम करनें की कार्यवाही तब की जाती है, जब बैंक के पास इसके अलावा दूसरा अन्य कोई आप्शन शेष नहीं रहता है |
संपत्ति की नीलामी होनें के बाद क्या होता है (What Happens After Property Auctions)
बैंक द्वारा जब किसी कर्जदार के संपत्ति को नीलाम किया जाता है, तो बैंक को अपने फंसे हुए पैसे को वसूल करने में आसानी होती है | हालाँकि कई बार ऐसा होता है, कि बैंक जिस कर्धारक की संपत्ति नीलाम कर रही है, उस कर्ज धारक नें अपनी संपत्ति से अधिक कर्ज ले रखा है अर्थात संपत्ति की कीमत कर्ज की राशि से काफी कम है | ऐसी स्थिति में संपत्ति को नीलम करनें से जो भी धनराशि मिलती है उस राशि को बैलेंस राशि में कम कर दिया जाता है और जो भी राशि शेष बचती है, उस पैसे को बैंक को भरना पड़ता है | इससे बैंक को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है |
इसके अलावा यदि बैंक द्वारा नीलाम की गयी संपत्ति से प्राप्त धनराशि लोन की राशि से अधिक है, तो बैंक द्वारा अपने लोन राशि को काटने के बाद जो भी धनराशि शेष बचती है, उसे कर्जधारक के बैंक खाते में जमा कर दिया जाता है | इसलिए लोन लेने वाले व्यक्ति को इस बात की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है, कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस तरह के नियम बनाये गये है |
बैंक सेटलमेंट करने के लिए कब कहता है (When Does The Bank Ask for Settlement?)
कर्ज धारक के लोन वापस न करने की स्थिति में बैंक आपके ऊपर सीधे करवाई नहीं करता है बल्कि बैंक लोन न चुका पाने से सम्बंधित आपको एक नोटिस भेजेगा, जिसमें आपसे लोन को जल्द से जल्द चुकाने के लिए कहेगा | इसके बाद भी यदि आप लोन के पैसे नही चुकाते है, तो बैंक द्वारा आपको फ़ोन और मेल आएगा और आपको बैंक आने के लिए कहा जायेगा | आपके बैंक जानें पर मैनेजर आपसे लोन के सम्बन्ध में बात करेंगे, जिसमें आपसे लोन सेटेलमेंट करने के लिए कहा जाएगा | जिसके अंतर्गत आप एक निर्धारित धनराशि देकर अपने लोन अमाउंट का पेमेंट कर पाएंगे |
यदि आप बैंक से साथ लोन का सेटेलमेंट अर्थात समझौता कर लोन राशि का भुगतान कर देते है, तो आपका लोन क्लियर अर्थात समाप्त हो सकता है | हालाँकि आप इस बात का ध्यान अवश्य रखे कि यदि आप बैंक से साथ लोन समझौता करने के पश्चात लोन अमाउंट जमा कर रहे है, तो बैंक मैनेजर से लोन अदा करनें से सम्बंधित डाक्यूमेंट्स अवश्य ले ले |
मूलधन से अधिक ब्याज हो जाने पर (On Interest Exceeding The Principal)
कई बार लोगो के सामने कुछ ऐसी स्थितियां आ जाती है, जब कर्जदार समय से लोन की किस्ते नही जमा कर पाते है | ऐसे में कर्ज ली गयी राशि पर लगे वाला ब्याज बढ़ता चला जाता है और कर्जदार के लिए लोन चुकाना और भी कठिन हो जाता है | ऐसे में बैंक डिफरेंट ग्रांट (Different grant) के साथ एक मुश्त भुगतान (One Time Settlement) करने की बात करते हैं | बैंक द्वारा इस लोन को नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (Non Performing Assets) या एनपीए (NPA) में डालदिया जाता है | जिसके अंतर्गत कर्जदार को दिवालिया घोषित कर दिया किया जाता है और उन्हें कर्ज चुकाने में असमर्थ मान लिया जाता है।
हालाँकि इस कार्यवाही से कर्जदार को बचानें के लिए कई बार बैंक एक बार में छोटी-छोटी राशि देकर कर्जधारक को कर्ज से बाहर निकलने का अवसर दिया जाता है । इसमें बैंकों को ज्यादातर ब्याज की राशि को कम करने या कुँच माफ़ कर एकमुश्त पैसा जमा करने की बात कही जाती है | कर्जदार इस पेशकश का लाभ उठा सकते है परन्तु उनका क्रेडिट स्कोर कैंसिल कर दिया जाता है, जिससे उन्हें भविष्य में कभी भी लोन मिलने की संभावनाएं लगभग समाप्त हो जाती है |
लोन न चुकाने पर कर्जदार पर क्या प्रभाव पड़ता है (What is The Effect on The Borrower If The Loan is Not Repaid)
बैंक लोन न चुकानें की स्थिति में कर्जदार पर किन-किन चीजों का प्रभाव पड़ता है, इसका विवरण इस प्रकार है-
कर्जदार का क्रेडिट स्कोर ख़राब हो जाता है (What Is The Impact On The Borrower If The Loan is Not Repaid?)
जब किसी व्यक्ति द्वारा किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थानों (Financial Institutions) से लोन लेते है और उसे निर्धारित समय पर वापस नही करते है, तो ऐसी स्थिति में आपके स्कोर को मेंटेन करने वाली बैंक या वित्तीय संस्थान को कर्जदार के डाटा के भेज देती है | जिससे आपका क्रेडिट स्कोर ख़राब हो जाता है | यदि एक बार आपका क्रेडिट स्कोर ख़राब हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में आपको किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान से लोन मिलना लगभग असंभव हो जाता है | इसलिए आपको हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी बैंक से लोन लेने पर उसे सदैव समय से वापस करना चाहिए | यदि आप लोन नही वापस करते है, तो आपका क्रेडिट स्कोर खराब होनें के साथ ही आपको किसी आपातकाल स्थिति में भी कहीं से भी लोन नही मिलेगा |
लोन नही चुका पा रहे है तो क्या करे (What To Do If You Are Unable to Repay The Loan)
यदि आप किसी वजह से लोन चुकानें के स्थिति में नही है अथवा आप लोन नही चुका पा रहे है, तो ऐसी स्थिति में आपको सबसे पहले बैंक में संपर्क करना चाहिए | बैंक को यह बतायें कि इससे पहले ऐसा कभी नही हुआ है और आपने सभी लोन समय से चुकाए है, इस बात की पुष्टि के लिए कुछ दस्तावेज भी दिखायें | लोन न चुका पानें के स्थिति में आपको इन्वेस्टमेंट के डाक्यूमेंट्स को गिरवी के रूप में बैंक के पास जमा कर दें | इसके साथ ही यह बताएं कि आगे आने वाले 5 से 6 महीनों में आपकी फाईनेंशियल स्थिति में कैसे सुधार हो सकता है।
इसके अलावा बैंक से पूछकर 3 महीने की छूट अवधि के लिएअपने लोन की रीस्ट्रक्चरिंग करें, इसके बाद भी आपको लगता है कि आप ज्यादा पैसा चुकाने में असमर्थ हैं, तो लोन लौटाने की समय अवधि बढ़ाएं। यदि आपने फ्लोटिंग रेट लोन का आप्शन चुना होता, तो इंटरेस्ट रेट में वृद्धि ने आपके लोन की अवधि को बढ़ा दिया होगा। यदि आप इंटरेस्ट रेट में और इन्क्रीजमेंट नहीं कर सकते हैं, तोतो एक निश्चित दर पर कर्ज की राशि लौटाने की अवधि चुनें।
लोन न चुका पानें के विभिन्न कारण (Reasons for Not Repaying The Loan)
किसी की भी लाइफ में कब कौन सी घटना घट जाए, यह कोई नही जानता है | ऐसे कई कारण है, जब किसी व्यक्ति के द्वारा लोन लेने के पश्चात वह उसे चुकाने में असमर्थ हो जाते है | जैसे कि कर्जदार की मृत्यु के मामले में, गंभीर दुर्घटना घटित होने पर और लोन की गारंटी लेने वाले व्यक्ति के साथ क्या होता है, इन सभी बातों के बारें में विस्तार से जानते है|
कर्जदार की मृत्यु के मामले में (In The Event of The Debtor’s Death)
यदि बैंक से कर्ज लेने वाले व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो जाती है, तो बैंक इस प्रकार की स्थितियों से निपटनें के लिए पहले से ही लोन का बीमा करा चुका होता है, जिसका भुगतान कर्ज लेने वाले व्यक्ति से लिया जाता है | भविष्य में इसप्रकार किघतना होनें पर बैंक अपने पैसे की वसूली इंश्योरेंस कम्पनी से करती है | हालाँकि इस प्रकार की संभावनाएं काफी कम होती है परन्तु बैंक अपने पैसे को दूबनें नही देती है |
लोन की गारंटी (Loan Guarantee)
आपने अक्सर देखा होगा कि लगभग सभी बैंक लोन देते समय आपसे गारंटर की मांग करते है | यदि बैंक से लिए गये लोन की अदायगी में किसी प्रकार की कोई समस्या आती है अथवा लोन लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो बैंक ऐसी स्थिति में अपना पैसा लोन की गारंटी लेने वाले व्यक्ति अर्थात गारंटर से वसूल करती है |
गंभीर दुर्घटना घटित होने पर (In The Event of Serious Accident)
यदि कर्ज लेने वाले व्यक्ति के साथ कोई गंभीर दुर्घटना घटित हो जाती है, जिसके कारण वह अपना कर्ज नही चुका पा रहे है| तो ऐसी स्थिति में बैंक तत्काल कानूनी कार्रवाई नहीं करता है, क्योंकि इसकी भी एक प्रक्रिया है | यदि आपके द्वारा बैंक से लोन लेने के बाद पहली क़िस्त का भुगतान न होनें पर कार्यवाही शुरू होती है परन्तु यह कोई गम्भित कार्यवाही नही होती है | हालाँकि यह इस पर भी निर्भर करता है, कि बैंक और कर्जदार के बीच कैसे सम्बन्ध हैं।
हम किसी कर्जदार की मृत्यु के मामले में पहले ही चर्चा कर चुके है परन्तु कर्जदार के गंभीर रूप से बीमार होने या किसी प्रकार की गंभीर दुर्घटना से ग्रस्त होने पर बैंक कर्ज चुकानें के लिए आपको पूरा समय देता है और किसी प्रकार की कानूनी कार्यवाही नहीं करता है | इस प्रकार की स्थितियों को लेकर भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) नें अपनें निर्देशों में स्पष्ट रूप से इंस्ट्रक्शनस दिया है |